📘 Class 10 Hindi – Chapter 1: सूरदास के पद
Book: क्षितिज भाग – 2
लेखक: सूरदास
पुस्तक का प्रकार: पद (भक्ति कालीन कविता)
विषय: वात्सल्य रस, श्रीकृष्ण की बाल लीलाएँ
🔹 भूमिका (Introduction)
सूरदास हिंदी साहित्य के भक्ति काल के महान कवि माने जाते हैं। उन्होंने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का अत्यंत भावपूर्ण वर्णन किया है। उनके पदों में वात्सल्य रस की प्रधानता है और श्रीकृष्ण की बाल छवियों को अत्यंत सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
🔹 पदों का भावार्थ (3 पदों का सारांश)
📜 पद 1: "मैया मोहि दाऊ..."
कृष्ण अपनी माँ से शिकायत करते हैं कि उनका बड़ा भाई बलराम उन्हें चिढ़ाता है कि “तेरे जैसे बहुत से कृष्ण हैं”। बालकृष्ण को ये बात बुरी लगती है और वे माँ से पूछते हैं कि क्या मैं सच में तुम्हारा बेटा नहीं हूँ?
भावार्थ:
इस पद में वात्सल्य रस के साथ-साथ बालकों जैसी मासूम बातें भी हैं। कृष्ण की भोली शिकायत मातृ प्रेम को उभारती है।
📜 पद 2: "अब न बजाओ..."
कृष्ण ग्वाल-बालों को बंसी बजाने से मना करते हैं क्योंकि उनकी बंसी की धुन से सारी गोपियाँ मोहित हो जाती हैं और कामधेनु तक दूध छोड़ने लगती है।
भावार्थ:
यह पद कृष्ण की बाल लीलाओं और उनकी मोहिनी छवि को दर्शाता है। संगीत की शक्ति और कृष्ण का प्रभाव इसमें दिखता है।
📜 पद 3: "चलो सखियों..."
गोपियाँ आपस में बात कर रही हैं कि कैसे श्रीकृष्ण उन्हें रास में बुला रहे हैं। वे उनके मोहक रूप की प्रशंसा करती हैं।
भावार्थ:
यह पद रास लीला और गोपियों के श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम को दिखाता है। श्रृंगार और भक्ति का सुंदर संगम है।
🔹 प्रमुख साहित्यिक विशेषताएँ
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भाषा शैली: ब्रज भाषा
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रस: वात्सल्य और श्रृंगार
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अलंकार: अनुप्रास, रूपक, उपमा
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काव्य तत्व: बाललीला, रासलीला, भक्ति भाव
🔹 मुख्य शब्दार्थ
शब्द | अर्थ |
---|---|
दाऊ | बलराम |
मोहिनी | आकर्षक |
रास | श्रीकृष्ण और गोपियों का नृत्य |
अनुप्रास | वर्ण की पुनरावृत्ति से अलंकार |
🔹 परीक्षा उपयोगी प्रश्न
1. सूरदास के पदों में वात्सल्य रस किस प्रकार व्यक्त हुआ है?
2. पहले पद में श्रीकृष्ण क्या शिकायत करते हैं?
3. ‘अब न बजाओ बंसी’ पद का सारांश लिखिए।
4. सूरदास का साहित्य में स्थान स्पष्ट कीजिए।
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